जब तक है साँस तब तलक है रिश्तेदारियाँ

जब तक है साँस तब तलक है रिश्तेदारियाँ।
करता नहीं कोई कफस की गमगुसारियाँ।।

आँखों में महकती है उसके फूल की खुश्बू।
हवाओं में है रंग की फरेबकारियाँ।।

शतरंज का हर मोहरा है पशोपेश में।
हर चाल पे शिकश्त की हैं एतबारियाँ।।

है निगाह शातिर सभी की यहाँ पर।
नाहक ही कर रहे हो आप पर्दादारियाँ।।

शिकश्तजदा होना है सबको एक दिन।
जी चाहे करे कोई कितनी होशियारियाँ।।

ये दराजदस्त लोग ये दराजदस्ती।
किसने सिखाई आदमी को खूँख्वारियाँ।।

राकिम जी मेरी जानिब आता है कौन ये।
किसको हैं रास आई फरामोशकारियाँ।।