है गरूर कितना किस कदर के देखिये

है गरूर कितना किस कदर के देखिये।
मिजाज सिर्फ बदलती नजर के देखिये।।

कल की खबर नहीं यहाँ किसी को है मगर।
इंतजाम हो रहे हैं उम्र भर के देखिये।।

बात समझने की जरूरत नहीं कोई।
रंग सिर्फ बात के असर के देखिये।।

कुछ और नहीं लगेगी तमाशे के सिवा।
जिन्दगी से खुद को दूर कर के देखिये।।

दिखते हैं एक जैसे कमजर्फ और गहरे।
असलियत को दरिया में उतर के देखिये।।

अपनी नजर में आप गुनहगार तो नहीं।
अपने गिरेबां में झांक कर के देखिये।।

जर्रे -जर्रे में खुदा होता है राकिम ।
शर्त है जमीन को झुक कर के देखिये।।