सच से ज्यादा झूठ सही है

हर जानिब दस्तूर यही है
सच से ज्यादा झूठ सही है

वरना बैठी होती तितली
इन फूलों में कुछ तो कमी है

तुझको मुश्किल में देखेंगे
हमनें भी दुनिया देखी है

गफ्लत थी दस्तक की शायद
दरवाजे पर कोई नहीं है

डूब रही हैं आँखें क्योंकर
आईना है या कि नदी है

याद नहीं लेकिन कातिल की
सूरत मुंसिफ से मिलती है

नाकाबिल हैं आँखें राकिम
क्या असली है क्या नकली है