इन गुरूर वालों का, अल्लाह भला करें।
हमको क्या पड़ी है, कि शिक्वा गिला करें।।
अब भूलने लगे हैं, हमको दोस्तों के नाम।
सोचा है बेवजह कभी, उनसे मिला करें।।
काइदे कानून की, बंदिश है चमन में।
वरना यहाँ पे फूल तो, खुलकर खिला करें।।
बिखरे हैं जा ब जा यहाँ, पत्ते जमीन पर।
कह दो हवाओं से कि, सम्हलकर चला करें।।
बरकरार रहे राकिम, जीने की तमन्ना।
खुदाया अता खुशी का, वो सिलसिला करें।।