राकि़म जोगिया रोये

सारी दुनिया ख्वाब में डूबी जब रातों में सोये।
राकि़म अलख जगाये जोगिया राकि़म जोगिया रोये।।

जोगिया उसको ख़ालिक़ बोले ख़ालिक़ को ही मालिक बोले।
बोले मेरा कहना क्या है वो जो चाहे होये।।

तोरे ईश्क में पागल जोगिया घूमे दरिया जंगल जोगिया।
दुनिया खोजे ताकत दौलत जोगिया खोजे तोहे।।

झोली खाली करता जाये खाली झोली भरता जाये।
इसकी तनिक भी फिक्र नहीं कि क्या पाये क्या खोये।।

दुआ में भींगी जुबान शीरी बिखरे बिखरे बाल फकीरी।
कुछ ना चाहे जोगिया फिर कुछ क्यों काटे क्यों बोये।।

खोट नहीं जोगिया के मन में दाग नहीं कोई दामन में।
आ जाये या लग जाये तो रो रोकर के धोये।।

ना तो जोगिया को दुख कोई ना तो जोगिया को सुख कोई।
अपने कंधे पर ले जोगिया दुनिया के गम ढोये।।