अजीब सी दहशत है आजकल के दौर में

अजीब सी दहशत है आजकल के दौर में।
सहमी सी तबीयत है आजकल के दौर में।।

अगले की शक्ल देख करके बात कीजिये।
ये अंदाज जेहानत है आजकल के दौर में।।

इक दूसरे को यूँ ही कत्ल कर रहे हैं लोग ।
यही तल्ख हकीकत है आजकल के दौर में।।

नाउम्मीद है इतना आदमी से आदमी।
मुलाकात तिजारत है आजकल के दौर में।।

जी ले रहे हैं लोग राकिम किसी तरह।
इतनी तो गनीमत है आजकल के दौर में।।